मेरा कहा
मेरा कहा
सोने की दीवारों पर हीरों की नक्काशी
चाँदी के झरोखों से तारों की तलाशी।
मंद-मंद झूमती बयार मीठी जो चली
खुला आसमान चाहतों की वो गली।
पिंजरा या आजादी जो तुम चाहोगी
मनमाना तुम हर कीमत अब पाओगी।
सीमाओं में रह कर अपने हिस्से का आसमां
ज़मीं पर पैर रख क्षितिज को छूने का ज़ज्बा।
बस मैंने इतना कहा....