रब की इनायतें
रब की इनायतें
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हर मुश्किल को आसान कर देता है
दो हाथों फैलाते झोली भर देता है।
बदले में चाहता कुछ भी नहीं मुझसे
सजदे सर झुकता अता कर देता है।
गुनाहों की फेहरिस्त लंबी यूं तो मेरी
हर दफा पर मुझे माफ़ कर देता है।
खुशियों में जग हँसता साथ मेरे
दर्दे ग़म में साथ वो पार कर देता है।
लफ़्ज़ों को सुन वाह सारे करते हैं
वो शगल को मेरे हुनर कर देता है।
मानों तो खुदा की इनायत बरसती
नामुमकिन को मुमकिन कर देता है।
ज़र्रे ज़र्रे में बसता वो महक की तरह
"प्रीत"की हर दुआ कुबूल कर देता है।
