मेरी मम्मी
मेरी मम्मी
जिसने बचपन से दिया साथ,
चलना सिखाया पकड़ कर हाथ।
बड़ा किया पाला पोसा,
और हमको इन बातों का होश ना।
हाथ से खाना खिलाया आपने,
बचपन में बहुत तंग किया आपको हमने।
मां तुमने तब भी गुस्सा ना किया,
हर एक गलती पर मुझे सुधार दिया।
जब रात को नींद नहीं आती,
तुम मीठी मीठी लोरी गाती।
सिर पर हाथ फेरकर मुझे सुलाती,
ठंड लगने पर चादर मुझे उड़ाती।
गुस्सा कभी तुम करती हो,
तब भी मेरी पल-पल चिंता करती हो।
स्वादिष्ट खाना बनाती हो,
खुद ना खा के पहले मुझे खिलाती हो।
मन की पुकार सुन लेती हो,
रूठ जाने पर मुझे मना लेती हो।
मां तुमने हमेशा अच्छी सीख सिखाई,
हमेशा अच्छी राह दिखाई।
जिसमें बस्ती है दुनिया सारी,
मेरी मां सबसे प्यारी।
जब मां तुम डांटती हो,
गुस्से की आंखों से तुम देखती हो।
मैं डर के यूं सहम जाती हूं,
ममता से भरी तुम मां आ गले लगाती हो।
मां दिखने में एक है,
पर मां के रूप अनेक है।
बच्चे को चाहे जितना मर्जी गुस्से में डांट देती है,
फिर अपने आप को भी मन ही मन में कोसती रहती है।
सबसे प्यारी जग से न्यारी होती है मां,
खूब सारा प्यार देती है मां।
