STORYMIRROR

Subodh Rajak

Drama

3  

Subodh Rajak

Drama

मेरी माँ

मेरी माँ

1 min
12.1K

मैं अकेला पड़ा 

राहों में खड़ा

ढुंढती नजरें 

तुम हो कहां 

ओ मेरी माँ.. 


इस धूप में 

जाऊं कहाँ

छाँव तेरे आँचल की 

पाऊं कहाँ.. 


सूनी धरती 

सूनी है आसमां 

आओ न माँ

तुम हो कहां 


मैं तेरे चरणों की 

धुल से रहूं लिपटा

मैं अकेला पड़ा 

राहों में खड़ा 

ढुढंती नजरेंं

तुम हो कहां 

ओ मेरी माँ.. !


माँ मेेेेरी जीवन की 

तुम हो दाता 

कैसे रहूं दूूूर मैं 

मुझको बता ..


ममता के सागर में 

मुझको डूूूबा

मैं अकेला पड़ा 

राहों में खड़ा 

ढुढंती नजरें 

तुम हो कहां.. 

ओ मेरी माँ..!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama