मेरी माँ
मेरी माँ
मैंने देखा है
उसे सिसकते हुए
मेरे लिए
संघर्ष करते हुए
अपने मुुख
से निवाला निकालकर
मुझे खिलाते हुए
खुद रोकर
मुझे हँसाते हुए
अपना समय देकर
मेरा समय
खुश हाल करते हुए
न वह कुछ
मांग करती हैं
और न ही
अपना कष्ट
महसूस होने
देती है
वह जन्मदात्री है
वह कर्मकारिणी है
वह सकारात्मकता
की जीती-जागती
मूरत है
वह माता नहीं
सरस रुपदाायिनी
सरस्वती है
वह माँ है
मेरी॥
