Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Brijlala Rohan

Abstract Action Inspirational

3  

Brijlala Rohan

Abstract Action Inspirational

मेरी लेखनी

मेरी लेखनी

1 min
283


जो आस- पास घटित होते घटनाक्रम दिख रहा,

मेरी प्रज्ञा निष्पक्ष भाव से उससे कुछ-न-कुछ सीख रहा,

उसे अपनी अचेतन और अवचेतन मन से अपनी चेतना से,

चिंतन कर चित्त में चितेरा बनकर चित्र बना मेरी लेखनी उसे उकेर रहा।

वही सब लिख रहा, जो सामने होते दिख रहा।

दुःख, दर्द, व्यथा, वेदना प्रेम, विरह, वात्सल्य और घृणा के शिकार

कुंठित जन की कोहराम को कहने की कोशिश कर रहा।

लोगों के अहम को भी अंतरात्मा की आवाज़ से दिन- रात झकझोर रहा 

याद दिला रहा किन्हीं के कर्तव्य को,

तो किन्हीं की अधिकार की आधारशिला बन उन्हें अधिकृत कर रहा।

जो दिख रहा, मेरी लेखनी वही - हु-ब- हु लिख रहा।।

समय की सहजता को सहज मन से सहेज रहा ,

उनके अनुसार चलने की हरदम कोशिश कर रहा।

मेरी लेखनी सत्ता के गलियारों के गफ़लत को भी गिन रहा ,

जितने लेखनी से लिखा जा सके सबके सब बिन रहा।

ऐसा नहीं की ये भीड़ का तमाशा देखने भर का ये तमाशबीन रहा,

मेरी लेखनी लिख रहा वही जो इसे दिख रहा। ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract