मेरी कलम
मेरी कलम
मेरी तो सबसे प्रिय साथी है मेरी कलम।
शायद अब तो है यह मेरे जीवन का अभिन्न अंग।
साथ रहती है हर क्षण।
भले ही कोई और हो या ना हो मेरे संग।
दिल या दिमाग़ में आते ही कोई भी विचार।
उतार देती है उसे कागज पर तुरंत उसी पल, उसी क्षण।
कलम तो है एक ऐसा हथियार दोस्तों।
जिसके सहारे लड़ी जा सकती है अहिंसा से कोई भी जंग।
ना ही कभी बोलती है यह कलम और
ना ही कभी हौसला तोड़ती है यह कलम।
करती है हर काम इतनी शांति से यह कलम।
कामयाबी का शोर मचा देती है दुनिया में यह कलम।
