मेरी कामयाबी का सितारा हुआ बुलंद कई वर्षो में
मेरी कामयाबी का सितारा हुआ बुलंद कई वर्षो में
मैं पीता हूँ मदमस्त होकर किसी से दिल चुराता नहीं हूँ।
करता हूँ मेहनत रातभर जाग-2 कर किसी को सताता नहीं हूँ
मेरी कामयाबी का सितारा हुआ बुलंद कई वर्षो में "विपुल"
कितना रोया हूँ अकेले में बैठ कर किसी को जताता नहीं हूँ।।
थपेड़े सहे हैं धूपके रब ने तब जाकर मेरी कहानी लिखी हैं
किस कदर टूटा था हालतों से किसी को सुनाता नहीं हूँ।
ये हँसी का ताज पहना खुद से , सैंकड़ो बार मरने के बाद
कहाँ कहाँ नहीं भटका हूँ सर हर जंगह अब झुकाता नहींं हूँ।।
मेरे चेहरे की चमक से सराबोर हैं आज ये पूरा फलक
कितनी बार धक्के देकर बाहर निकाला गया भुलाता नहीं हूँ ।
जिन अपनो ने आज मेरे कदमों को छूना शुरू कर दिया हैं
कितने गिरे हुए थे वो सारे महफ़िल में कभी गाता नहीं हूँ।।
फिरते रहते हैं आज वो चक्कर लगाते हुए हमारे घरों के
कहते थे जो कभी मैं अरे ग़ैरे के यहां आता जाता नहीं हूँ।