ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी वो पहले ही जी चुकी थी
उसे अब किसी का घर बसाना था।
किसी के सपनो में हाथ बटाना था
किसी के वंश को आगे बढाना था।
उसकी जिम्मेदारियाँ बढ़ चुकी थी
माँ बाप की इज्जत भी बचाना था।
दिल कब का जल चुका था उसका
अब किसी गैर को अपना बनाना था।
किस्मत लिखती हैं जिंदगी के फसाने
रचती यहीं जीवन जीने के ताने बाने।
जो चाह कर भी ना मिले वही राज है
दूर होकर भी साथ दे वही हमराज है।
ऊपर वाला रखता ये खास अंदाज है
दे दे जिसको दिल से वही तीरंदाज है ।