घबराते नहीं
घबराते नहीं
1 min
12.1K
ख्वाब सच्चे अब आते नहीं हैं
माँ के बोल अब रुलाते नहीं हैं।
जब से पापा उस फ़ोटो में टंगे हैं
कसम से अब हम मुस्कराते नहीं हैं।
कमी में कभी घबराते नहीं हैं कि
आईने से मुँह छुपाते नहीं हैं ।
दिल की मन्नत भी पूरी होंगी
ध्यान प्रभु से हटाते नहीं हैं ।
इरादे भी अपने छुपाते नहीं हैं
महफिले अब हम सजाते नहीं हैं।
आंखों को रातो में सुजाते नहीं हैं
पास किसी के अब जाते नहीं हैं ।
जिंदगी में सीखा है एक सबक
विपुल अपना किसीको बनाते नहीं हैं।