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Vipul Maheshwari Anuragi Anuragi

Tragedy

4  

Vipul Maheshwari Anuragi Anuragi

Tragedy

सारे रिश्ते फीके लगते

सारे रिश्ते फीके लगते

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सारे रिश्ते फीके लगते

मुझको ना अब बात किसी की भाती है ।

किसे सुनाऊ दुखड़ा अपना

पापा पल पल याद तुम्हारी आती है ।।

कांटोसा डगर यहां मुझको डर लगता है 

तेरे ना होने से पापा घर , घर नही लगता घर

किसे बताऊ तड़पन छिनी हुई आजादी की ।

सारे रिश्ते ......

मुझको .....

जानता हूँ रेत ,सीमेंट और इंटों की बात नही है

मतलबी दुनियां में कोई किसी के साथ नही है

जीने में रही अब वो बात नही है

कोई नही है जग में अपना सोच ये पल-पल आती है

मैं किसे सुनाऊ दुखड़ा अपना 

पापा पल पल.....

तकदीर की बातों से ही मेरी आंखे रो जाती है 

देख लिया अजमाकर सबको बनी-बनी के साथी हैं!



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