मेरी जिंदगी
मेरी जिंदगी
जिंदगी नहीं है बहारों की,
ये तो सेज है काँटों की
किसी के लिए ये कलीयाँ चुनती,
पर मेरे लिए बस काँटा सी चुभती
किसी के लिए जिंदगी हसीन है,
पर मेरी जिंदगी तो गमों की शौकीन है
सुख- दुःख है दो किनारे,
जिंदगी चलती है जिनके सहारे
सबके दामन में इसने क्या क्या भरे,
पर मेरा आँचल तो सूना ही रहे
मेरे लिए तो जीवन एक पहेली है,
जितना सुलझाऊं उतनी ही उलझती है
कितने सपने रचती है,
कितनी बार उजड़ती और बसती है जिंदगी।