मेरी अलमारी
मेरी अलमारी
मेरी अलमारी आज
कोट, शेरवानी, जैकेट, सदरी, ब्लेजर से भरी पड़ी है
जो साल भर में पुराने लगने लगते हैं
लेकिन इन्हीं सब के बीच एक स्वेटर भी है
जो सालों के बाद भी नया है
जब भी पहनता हूँ यह और नया हो जाता है
यह माँ के हाथ का बुना स्वेटर है
कपड़े जवानी के बाद भी छोटे पड़ते हैं
जब लम्बाई की जगह चौड़ाई बढ़ती है
लेकिन माँ का बुना स्वेटर कभी छोटा नहीं पड़ता
यह एकदम तुम्हारी बांहों की तरह होता है
जिसकी परिधि असीमित होती है
जब कड़ाके की ठंड पड़ती है
और ये जैकटें ठंड को नहीं रोक पाती
तो तुम्हारा स्वेटर पहन कर निकलता हूँ
और तुम्हारे लगाये फंदों में सर्दी झूल जाती है
झूले भी क्यों न
ठंड को भी पता है कि माँ ने यह स्वेटर काँपते हुए बुनी है
आज जब रिश्तों को बिखरते देखता हूँ
तो तुम्हारा स्वेटर बुनना बहुत याद आता है
एहसासों का ऊन लेकर
ममता और धैर्य की दो सलाइयों से तुम जीवन को
बुन देती थी
तुम स्वस्थ रहो या बीमार
घर में रहो या बाजार
ये सलाइयां थमने का नाम ही नहीं लेती थीं.
मैं हर विशेष मौके पर इस स्वेटर को पहनता हूँ
जिसके कुछ फंदे उधड़ गये हैं
एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में सूटबूट टाई वाले
मुझे देखकर हंस रहे थे, मैं उन पर हंस रहा था
शायद उनकी माँओं ने उनके लिए स्वेटर नहीं बुनी होगी
माँ की स्वेटर ने सिखाया है
बने हुए और बुने हुए में बड़ा अंतर होता है
बना हुआ सलीके से बनता तो है
लेकिन उधड़ता बेतरतीब है
बुना हुआ उधड़ता भी सलीके से है
माँ की स्वेटर जब बुन जाती थी
वो मुझे पहना कर इठलाती थी
माँ आज भी तुम ठीक वैसे ही इठलाती होगी
तुमने सर ऊंचा करना सिखाया है
शायद इसीलिए स्वेटर में कॉलर नहीं लगाया है
एक राज की बात बताऊं
जब मैं यह स्वेटर पहन कर निकलता हूँ तो लगता है की मां मेरे साथ है और ऐसा लगता है जैसे अपने आंचल में मुझे समेट लिया है और ऐसा लगता है की जैसे मां ने मुझे गले लगा लिया है
माँ को आत्मा के बेहद करीब पाता हूँ ।