मेरे वीर
मेरे वीर
घात लगाकर बैठा था दुश्मन,
उसने पीठ पर वार किया,
कायरता की हद पार की,
गोला बारूद तैयार किया।
हिम्मत थी तो ज़रा सामने से वार करते,
क्यों छुप छुप कर सब तैयारी की।
मेरे जाबांजों से लड़ने की ताकत न थी,
तो ऊपर से गोलाबारी की।
तूने अपनी कायरता का सबूत
एक बार फिर दे दिया,
क्यों तू हमारी शांति को
कमज़ोरी समझ जाता है।
क्यों तू इंसानियत को कभी
समझ नहीं पाता है।
क्यों जिंदगियों को बर्बाद करना ही
तुझे पसंद आता है।
क्या सही राह है क्यों कोई
तुझे बता नहीं पाता है।
क्यों तूने आतंकवाद बढ़ाने का
हाथ है थाम लिया।
किसी का भाई, किसी का बेटा,
किसी के पिता, किसी के पति,
किसी का दोस्त
तुम लोगों ने छीन लिया।
लहू के लाल रंग से
भारत माँ का सीना छील दिया।
कायरता की हद पार की,
गोला बारूद तैयार किया।
क्यों तू हमारी शांति को
कमज़ोरी समझ जाता है,
क्यों तू इंसानियत को कभी
समझ नहीं पाता है।
क्यों जिंदगियों को बर्बाद
करना ही तुझे पसंद आता,
क्या सही राह है क्यों कोई
तुझे बता नहीं पाता है।
क्यों तूने आतंकवाद बढ़ाने का
हाथ है थाम लिया।
मेरे शहीदों तुम्हारी कुर्बानी
व्यर्थ न जायेगी।
एक एक के खून का बदला
उन लोगों से लेंगे।
2 इंच भी कम होने पर
सेना में भर्ती हो नहीं पाते,
आज आधा अधूरा लेते हुए
किस की आत्मा न रोई होगी।
दहक रही है ज्वाला तन में,
किस भारतवासी की सोई होगी।
न भूल पाएंगे ये 14 फरवरी का दिन,
जब प्यार भरे दिन को तुम लोगों ने
नफ़रत में बदल डाला।
आतंकवाद का कोई धर्म नहीं
ये फिर तुम लोगों ने सिद्ध कर डाला।
बहुत हो चुका अब मेरे वीर ऐसे न मारे जायेंगे,
तेरी चौखट पर आ तेरा सीना चीर दिखाएंगे।
सँभल जा, जो तैयारी करनी है कर ले,
तुझे तेरे घर में घुस कर न मारा तो
भारत माँ के सपूत नहीं,
कैसे तुझे दिखाए अक्स,
उस मौत का कोई स्वरूप नहीं।
नमन मेरे शहीदों को,
ये अजर अमर रहे।
यूँ ही ये ज्योति जलती रहे,
सब भारत माता की जय कहे।।
