परिवार
परिवार
दहलीज़ के पार जाना चाहता मैं था,
परिवार हमारे राह का रोड़ा बना था।
प्यार उन्होंने हमको सच्चा किया था,
ये सब अच्छी तरह से जानता मैं था।
वो पिछले चार वर्षों से मिल रहा था,
उसने मेरे लिए करवा चौथ रखा था।
सुहागन ना होकर भी वो व्रत रखती,
कैसे कह सकता वो बेवफ़ा निकली।
वीडियो कालिंग करते हुए व्रत तोड़ा,
कैसे कह सकते कि दिल उसने तोड़ा।
दहलीज़ के पार कोई भी ना गया था,
परिवार हमें बहुत ही ज़्यादा प्रिय था।
