मेरे मुखौटे
मेरे मुखौटे
मेरे जागने से पहले मेरे मुखौटे
मेरे हाथों में आ जाते हैं,
लग जाते हैं गले से,
और करते हैं मेरा पीछा भी।
जागते ही नींद से मुझे जगाने वाले पे आता है गुस्सा,
और तब मैं पहनता हूँ मुस्कान का मुखौटा।
निकलता हूँ जब मैं अपनी गाड़ी पर, सड़क पे चलने वालों पे खीझता हूँ,
पहन लेता हूँ तब मैं शांत मुखौटा।
आपने साथियों के काम करने के तरीके कभी समझ में नहीं आए,
लेकिन तब मैं लगाता तारीफें करता मुखौटा।
पसंद नहीं है शराब-माँस मुझे
हालांकि चिपकाना पड़ता है एक भूखा मुखौटा।
मंदिर से निकलते वक्त ही मिलता है सुकून,
जबकि मंदिर में लगा रखा होता है कोई धार्मिक मुखौटा।
वक्त के साथ बेडौल भी हो गया हूँ मैं,
फिर भी लगा के रखता हूँ स्वस्थ-हँसी का मुखौटा।