मेरे लिये
मेरे लिये
मेरे लिये तो
प्रेम ही सर्वस्व है
क्योंकि इसमें तुम हो।
मेरा देश है
मेरा धर्म है
मेरी सभ्यता है
मेरा इतिहास है
मेरा भविष्य है और
इन सबसे जिसे लगाव नहीं
वो है दया का पात्र,
जीवन को पाखंड बनाने का सूत्रधार,
और दिलचस्प बात तो ये है कि
यहाँ भी सर्वस्व है
देश से लेकर उसके भविष्य तक,
मेरे लिये न सही।