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Sachhidanand Maurya

Abstract

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Sachhidanand Maurya

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मेरे हनुमान तुम्हें शत शत नमन

मेरे हनुमान तुम्हें शत शत नमन

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(१)

मेरी तकलीफों को

करते दूर तुम,

भगवन के उपनाम

से मशहूर तुम,

है राष्ट्र भी कृतज्ञ ऐसे नेक करम,

मेरे हनुमान तुम्हें शत शत नमन।


(२)

रोगियों के जानते तुम मर्म,

मानवता ही सच्चा तुम्हारा धर्म,

हर वक्त सेवा में रहते सदा तत्पर,

सुबहो शाम और आठो पहर,

तुम्हारे प्रयासों से स्वस्थ वतन,

मेरे हनुमान तुम्हें शत शत नमन।


(३)

व्याधियों में तुम साथ देते

कालेश्वर तुम मृत्यु को भी मात देते,

बनकर खड़े हो जाते तुम रक्षक,

डूबते को अपना हाथ देते,

तुम पास हो तो दूर नजर आए कफ़न,

मेरे हनुमान तुम्हें शत शत नमन।


(४)

प्रशंसनिय हैं सर्वथा तेरे प्रयास

न हार मानी है न छोड़ें हैं आस,

फिर गुणगान होंगें तुम्हारे यश के,

फिर लौट आएगा एक दिन खास,

फिर गीत गाएंगे मनाएंगे जशन,

मेरे हनुमान तुम्हें शत शत नमन।


(५)

चर्चा तुम्हारा फिर अनंत होगा,

काल कोरोना का भी अंत होगा,

फिर दीवाली फिर होली गीत गाएंगे,

यकीनन हम एक दिन जीत जाएँगे,

फिर बहार आँएंगी इस वीरान चमन,

मेरे हनुमान तुम्हें शत शत नमन।



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