मेरे हमदम
मेरे हमदम
मेरी ज़िंदगी की सनम, तूने पूरी हर कमी की है,
बन कर साँस मेरी तूने, पंकज को खुशबू दी है।
मेरे हमदम ये मेरी, ज़िन्दगी है तेरे दम से,
मेरे दिल में तू धड़कन, की ही तरह धड़के।
मेरे हमदम ये मेरी…..
लेकर धूप तेरी नज़रों से, खुद को मैंने सँवारा सनम,
लेकर छाँव तेरी ज़ुल्फों से, हर हाल में गुज़ारा सनम,
मेरी हस्ती में दिलबर, बस तू ही तू झलके।
मेरे हमदम ये मेरी, ज़िन्दगी है तेरे दम से…..
तेरा हुस्न खुद है कविता, तुझको हर पल बाँचा करूँ,
छंदों का ख्याल जब आये, तुझको ही बस सोचा करूँ,
मेरे शेरों के हर लफ्ज में, तेरी ही रूह झलके।
मेरे हमदम ये मेरी, ज़िन्दगी है तेरे दम से…..
तेरे साथ से तो ज्यादा, कभी कुछ नही चाहा किया,
तेरे संग बीते हर लम्हा, खुद से है यही वादा किया,
मेरे शाम और सहर में, तू खुशी बन के झलके।
मेरे हमदम ये मेरी, ज़िन्दगी है तेरे दम से…..