STORYMIRROR

SUNIL JI GARG

Abstract Drama Inspirational

4  

SUNIL JI GARG

Abstract Drama Inspirational

मेरे देश की पूर्ण आजादी

मेरे देश की पूर्ण आजादी

1 min
281


जिसके लिए कटे शीश कई 

बस ख्याल नहीं आज़ादी है 

पूरी सच्चाई हमें मालूम नहीं 

कुछ बातें हमसे छुपा दी हैं


हम मस्त आज के जीवन में 

अपने अपने में रमे हुए हैं 

नहीं जानते आज भी नज़रें 

दुश्मन हम पर रखे हुए है 


जो बात जन जन में उन दिनों थी 

वो देश में फिर से जगानी होगी

आज गुलामी अलग तरह की 

हमें पूर्ण आजादी पानी होगी 


आज क्रोध भीतर ही भीतर 

ठंडी ज्वाला बन छुपा हुआ 

है सबकी झूठी बातें सुनता 

पर अपना मुंह तो सिला हुआ 


अपने अपने गुट बना कर 

>आपस में रार ठान ली है 

इसे नहीं आजादी कहते 

पहचान ही जिसने छीन ली है 


पहचान हमारी एकता है 

जिसने हस्ती बचाए रखी

दौरे जहाँ की दुश्मनी भी 

आसानी से दूर भगाए रखी 


एक सवाल खुद से पूछिए 

हम एक हैं आज कितने

तोहमतें लगाने की आदत 

सिखाई है हमको किसने 


आज़ादी की जयंतियां

हमको सीख कुछ तो देवें 

महान वहान बनते रहेंगे 

पहले हम सब एक तो रहवें 


जाति, धर्म सब मानें ठीक

पर संविधान की पकड़ रहे 

संस्कृति हमारी बढ़ती रहे 

दुनिया में देश की अकड़ रहे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract