मेरे देश की पूर्ण आजादी
मेरे देश की पूर्ण आजादी
जिसके लिए कटे शीश कई
बस ख्याल नहीं आज़ादी है
पूरी सच्चाई हमें मालूम नहीं
कुछ बातें हमसे छुपा दी हैं
हम मस्त आज के जीवन में
अपने अपने में रमे हुए हैं
नहीं जानते आज भी नज़रें
दुश्मन हम पर रखे हुए है
जो बात जन जन में उन दिनों थी
वो देश में फिर से जगानी होगी
आज गुलामी अलग तरह की
हमें पूर्ण आजादी पानी होगी
आज क्रोध भीतर ही भीतर
ठंडी ज्वाला बन छुपा हुआ
है सबकी झूठी बातें सुनता
पर अपना मुंह तो सिला हुआ
अपने अपने गुट बना कर
>आपस में रार ठान ली है
इसे नहीं आजादी कहते
पहचान ही जिसने छीन ली है
पहचान हमारी एकता है
जिसने हस्ती बचाए रखी
दौरे जहाँ की दुश्मनी भी
आसानी से दूर भगाए रखी
एक सवाल खुद से पूछिए
हम एक हैं आज कितने
तोहमतें लगाने की आदत
सिखाई है हमको किसने
आज़ादी की जयंतियां
हमको सीख कुछ तो देवें
महान वहान बनते रहेंगे
पहले हम सब एक तो रहवें
जाति, धर्म सब मानें ठीक
पर संविधान की पकड़ रहे
संस्कृति हमारी बढ़ती रहे
दुनिया में देश की अकड़ रहे।