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Neerja Sharma

Abstract

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Neerja Sharma

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मेरा संकल्प

मेरा संकल्प

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संकल्प 

होता ही है

पूरा करने के लिए 

लेता भी वही इंसान है जिसमें

पूरा करने की ताकत हो 

मन में अथक जोश हो 

तभी होता है पूरा

दिल से लिया

संकल्प।


अब सुनो मेरा 

थोड़ा कठिन संकल्प

30 साल तक प्राथमिक अध्यापिका

रहने पर अचानक ये भाव मन में आया 

जब पाँचवी तक के बच्चे कर लेते है तुकबंदी 

तो क्यों न बड़ो को अब पढ़ाया जाए। 


जैसा ही ये विचार मन में आया 

दिल भी जोश से भरमाया 

ले लिया ये संकल्प उसी साल 

सृजनात्मकता को बनाया अपना लक्ष्य

और 2015 में बन गई टी जी टी हिन्दी।


पहला साल रहा बड़ा ही मुश्किल 

मातृभाषा समझ नहीं देते थे ध्यान 

पर उन बच्चों को प्रायमरी में पढ़ाया था 

सो मानसिकता समझना रहा थोड़ा आसान।


स्टार व शाइनिंग स्टार देकर 

बच्चों की हर अभिव्यक्ति को प्रोत्साहन देकर 

किया कुछ इस तरह प्रेरित 

जो न सोचा था वो आसानी से पा लिया।


पिछले चार सालों में...

कई कवि और कवयित्रियों

को स्कूल की शोभा बना दिया

हिन्दी भाषा में बच्चों की रूचि को जगा दिया।


हर साल पहले से बेहतर रहा

वर्तनी की गलती हो सकती थी 

पर अभिव्यक्ति जरूर होने लगी 

हर क्लास में लगी अभ्यास पुस्तिका 

पहले शुरू होती थी तुकबंदी 

फिर आरम्भ किया कविता से मिलती कविता 

फिर गद्य से पद्य में परिवर्तन 

कविता को कहानी में लिखना।


कहते है न...

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती 

अब मेरा संकल्प पूरा हो गया 

चार वर्षों के प्रयासों ने

बच्चों को सोचना व अभिव्यक्त करना सिखा दिया।


कई बच्चों ने इस लालच में लिखा

उन्हें मिलेगा गैम्स पीरियड़...

हर बच्चा कवि बनेगा यह जरूरी नहीं 

सब की क्षमता अपनी अपनी 

जो पढ़ने की लगन लगा गया 

वह सृजन भी कर गया।


हर कक्षा की एक कापी लगा 

सब उसमें लिखवा लेती हूँ

बच्चे तो बच्चे है

गूगल बाबा को बदल ले आते है

उमर सोच का अँदाजा तो है 

प्यार से शरमा बताते है

मैम, मम्मी से हैल्प ली।


खैर यह बार - बार नहीं होता 

लिखना सामने ही करवाती हूँ

थोड़ा सा छोटा सा...

एक मेरी पंक्ति पर जब वो जोड़ दें 

समझ लेती हूँ एक सीढ़ी चढ़ी।

 

बस कुछ ऐसे ही प्यारे है मेरे अनुभव 

अब संकल्प की चिंता नहीं 

अब तो बस यही प्रयास 

मातृभाषा न रहे मात्र भाषा

जागे हर दिल में सम्मान

हिंदी है भारत भाल की बिंदी

ऊँचा रहे इसका मान।


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