मेरा प्रेम मेरे एहसास
मेरा प्रेम मेरे एहसास
चारों तरफ खुशबू, बिखरी हुई है
फूलों की कलियां भी, निखरी हुई हैं,
रिमझिम बरसात, होने लगी है
तबीयत हमारी, अपनी सुधरी हुई है।
हर रोज दीवाली, होली है लगती
दिल में अजब सी, ख्वाहिश है जगती,
बैचैनी पल पल, है बढ़ती ही जाती
नीदों की दुनियां, हकीकत को ठगती।
छुप छुप के हम, मुस्कराने लगे हैं
हमे प्रीत को, कई जमाने लगे हैं,
जब भी गुजरती, वो दिल में समाती
हम तो अब, नजरें टिकाने लगे हैं।