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Sameer Faridi

Abstract

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Sameer Faridi

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मेरा नाम अधूरा है

मेरा नाम अधूरा है

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बिखरे-बिखरे बादल, आसमान अधूरा है,

महफ़िलों, शहनाइयों से क्या लेना मुझे ?


जब भीड़ में भी तुम बिन, जहान अधूरा है

हर साज-ओ-सामान, सहेज कर रखी हमने,


पर बिन खुशबू के तेरी, ये मकान अधूरा है

मेरे हर क़दम, हर गज़ल तेरे नाम के सदके

फिर भी हर ख़्वाहिश, हर अरमान अधूरा है।


किस दौड़ में शामिल है, अपना ये कारवाँ,

मंज़िल तो मुक़म्मल है, अंजाम अधूरा है।


लाकर कोई दे जाए, मेरे महबूब की ख़बर,

उसकी दहलीज़ से निकला अभी,पैग़ाम अधूरा है,


लिखना है तो लिख दे, न कर खून की फ़िकर-2

मेरा उससे न जुड़ेगा, तो मेरा नाम अधूरा है।


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