मेरा क्या कसूर
मेरा क्या कसूर
मेरा क्या कसूर है
जो लोग मुझे इल्जाम देते हैं।
माना कि बुरी ही सही
पर मुझ में कुछ तो अच्छाई ही होगी।
साथ तो मैंने सबका दिया
पर मेरे साथ तो तन्हाई ने दिया।
कल भी मैं अकेली थी आज भी मैं अकेली हूं
बस अंतर इतना है कल मैं बेटी थी आज मैं बहू हूं।
