मेरा गांव
मेरा गांव
मेरा बचपन वाला गांव याद आता है
मां पिता का घर आंगन याद आता है
ना थी बिजली दीपक का उजास था
दिलों में परस्पर प्यार का एहसास था
जीवन में सादगी सरलता का स्थान था
सामाजिक मर्यादाओं के लिए मान था
हल बैल पालतू पशु हर घर की पहचान थे
चहुं ओर हरियाली खेत और खलिहान थे
करते थे नीम की दातुन मुल्तानी से नहाते थे
हाथ में लकड़ी की तख्ती लिए स्कूल जाते थे
था दूध छाछ का बोलबाला चाय ना थी
था सबसे मेलजोल किसीसे रंजिश ना थी
खुले आसमान में चांद से मुलाकात होती थी
सप्तर्षि मंडल, ध्रुव तारे की बात होती थी
सुनते थे लोककथाएं हर त्योहार की कथाएं
क्या कहें तब बहती थीं कुछ और ही हवाएं।