मेरा देश
मेरा देश
है सुसज्जित मेरा देश, संस्कृति के उत्कर्ष से
रहता है यह सुशोभित, कला के वर्चस्व से।
है अनुबंधित मेरा देश, प्रगति के बंधन से
रहता है यह गुंजित,नव क्रांति के स्वर से।
है जागृत मेरा देश, विकास के आगमन से
रहता है यह आभूषित, विज्ञान के उद्भव से।
है परिभाषित मेरा देश, सत्कर्म के पथ से
रहता है यह पुष्पित, ज्ञान के तीर्थ से।
है सुरभित मेरा देश, समानता के रंग से
रहता है यह पोषित, सद्भाव के संपर्क से।
है संगठित मेरा देश, समरस एक प्रारूप से
रहता है यह एकत्रित, एकता के स्वरूप से।
है यह मेरा भारत देश, मैं हूँ गौरवान्वित जिससे
रहता है यह सुगंधित, भारतवासी पुष्पों से।