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ARVIND KUMAR SINGH

Abstract Tragedy

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ARVIND KUMAR SINGH

Abstract Tragedy

मेरा भाई

मेरा भाई

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कब से था इंतजार मुझे

दौड़ के घर को आएगा

रक्षाबंधन ये आया कैसा

शहीद हो गया मेरा भाई


अपनी रक्षा मांगूं किससे

किसके कांधे पर रोउंगी

कैसे अपने मन की करुं

जब रहा नहीं मेरा भाई


देश उसे था सबसे प्यारा 

जान न्यौछावर कर बैठा

कलाई उसके साथ नहीं 

तिरंगे में आया मेरा भाई


रखुंगी अपने पास हमेशा

कभी न कहीं जाने दुंगी 

मुझको तो हर हाल चाहिए

कैसे भी ला दो मेरा भाई


हो रे लोगों सुन लो मेरी

बस एक बार इसे जगा दो

उठकर गले लग जाये मेरे

कुछ कहने को मेरा भाई।


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