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Dr. Madhukar Rao Larokar

Abstract

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Dr. Madhukar Rao Larokar

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मदर्स डे

मदर्स डे

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विश्व का आज, प्यारा प्यारा

पर्व मदर्स डे है आज।

जितनी माताएं हैं, जग में

सदा की भांति, पूजेंगी आज।


रखती बच्चे को, नौ माह अपने

गर्भ में, जन्म देकर दुनिया दिखाती।

हर युवती की रहती, यह कामना

मां बन ही वह अपनी, पूर्णता पाती।


मां है जग में, परमेश्वर का प्रतिरूप

नहीं विराज सकते, घर घर वे।

देकर जन्म नारी को प्रभू

हर घर भेजते बनाकर, दूत वे।


बच्चे को ममता, दुलार देती मां

घनी छांव देती झेल, धूप की तपन।

हर पल ,हर सांस लूटाती मां

चाहत हर पूरी कर, बच्चे को देती सुखन।


बच्चे के लिए, मां का आंचल

भाग्य व वरदान है, दैव का।

चाहे जितनी पीड़ा, परेशानी सस्ती

वक्त और भाग्य के थपेड़ों का।


मां के जीते जी, बच्चा शहंशाह होता

हर उम्र, हर वक्त इस जग में।

कर्ज मां के, एहसास स्नेह का

सप्रयास कौन उतार सका जग में।


मां ही स्वर्ग, धरती है

आंचल है उसका ,अनंत अम्बर।

नर की नारायणी है मां

सेवारत रहते जो, जीवन जाता संवर।


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