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मदर्स डे स्पेशल

मदर्स डे स्पेशल

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बायोलॉजिकल इवोल्यूशन

तो यही कहता है,

की फीमेल बनी है,

रिप्रोड्यूस करने के लिए,

वो इक्यूप है इसके लिए,

उसके स्तनों से दूध निकलता है,

मानव शिशु को तृप्त करने के लिए।


उसके पास समय होता है,

इसलिए वो खेलती है,

केयर करती है,

बच्चों की,

ऐसा करना उसकी नेचर होता।


तो वर्किंग क्यूँ करती

अपने कलेजे के टुकड़े को

आया या केयर टेकर के हवालें,


कोई क्रेश ना होता तब तो,

उसने चुना घेरुलों जिमेदारियों को,

इसलिए रात में बच्चे के रोने पर,

उसे ही उठना होता है,


वो भावुक ज्यादा है,

इमोशनल कण्ट्रोल

की ट्रेनिंग नहीं दी है,

किसी कॉर्पोरेट ने,

इसलिए वो फिजूल

बच्चे की एजुकेशन

हेल्थ को लेकर,

परेशान होती है ,


उसे केवल अपना बच्चा ही दिखता है,

वो छिपाती है सारी गलतियाँ

अपने लाडलों की ,

वो इसको प्यार कहती हैं।


और बच्चों का फ्यूचर दावं पर लगा देती हैं,

उसे प्यारी जो बने रहना है –

सिर्फ अपनी नजरों में ,

जब बच्चे बड़े हो जाते हैं।


तो माँ की जरूरत कम होने लगती है,

हाँ , पापा से छुपाकर पैसे देने में

भूमिका निभाने को मिलती है,


अब माँ बच्चो की केयर या

हेल्प नहीं कर पाती है,

माँ आउटडेटिड् हो चुकी है,


उसकी भक्ति, उसका ज्ञान,

बच्चो की तार्किकता से,

मैच नहीं खाता,

बच्चे कह ही देते हैं,

माँ को कुछ समझ में नहीं आता,


कुछ समाज के रायचंद इन्हें,

माँ के अहसास की याद दिलाते हैं,

माँ ने अपनी भूख मारकर,

अपनी नींद को उजाड़कर,


और ऐसे तमाम त्याग का वास्ता देकर,

आज की पीढ़ी को झकझोरते हैं,

और ये बायोलॉजी, सोशियोलॉजी,

टेक्नोलॉजी अपनी सारी लोजी लगाकर भी

माँ के रोल को सिरे से ख़ारिज नहीं कर पाते हैं,


आज की पीढ़ी वाले थोड़े निरूतर

जरूर हो जाते हैं,

पर वो स्मार्ट हैं,

हाई-टेक से लेस हैं,

लॉजिक की ही सुनने वाले,

वो एडमिट करते हैं अपनी मिस्टेक,


नहीं कह सकते माँ के योगदान को फेंक,

पर वो बिजी हैं,

ड्रीम्स में तो माँ है ही नहीं,


केरियर की दौड़ में तो

माँ के लिए नहीं रूक सकते,

उनकी महेत्वाकंक्षा, 

माँ को तो कब की भुला चुकी है,

वो फसें हुएं हैं बाजारवाद के अंधे जाल में,


फिर भी उन्होंने,

अपने दिमाग और दिल को बहलाने को,

एक रास्ता दूंढ लिया है,

वो साल में एक दिन

अपना स्टेटस में,

माँ की पिक लगाने को तैयार है,


फेसबुक पर भी शेयर करने को राजी हैं,

जहाँ भी होंगें,

गिफ्ट भिजवा ही देंगे,

कॉल नहीं तो,

मैसेज हो ही जाये

माँ को भले ही पता ना चले,


उसके बच्चों का अपनी सोशल क्लास में,

मदर्स डे सेलिब्रेशन हो ही जायेगा,

थैंक्स माँ, एक दिन तो दिया

स्टेटस अपडेट करने को,

शायरी, कवितायेँ शेयर करने को,


तो बाय माँ,

ये यीअर तो सेलिब्रेट हो ही गया,

अब नेक्स्ट मदर्स डे

पर माँ को याद करेंगे।


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