मधुर वाणी
मधुर वाणी
मधुर वाणी बोलना एक,
मंहगा शौक है,
जो सब के बस की बात नहीं होती,
क्यों की सबको मधुर वाणी
बोलनी नहीं आती।
अपने खराब मूड के समय,
बुरे शब्द ना बोलें।
क्योंकि.. खराब मूड को,
बदलने के बहुत मौके मिलेंगें,
पर शब्दों को बदलने के,
मौके नहीं मिलेंगे।
माना ये दुनियाँ बुरी है,
सब जगह धोखा है....!
लेकिन हम तो अच्छे बने..
हमें किसने रोका है |
भगवान ने हमें ये प्रवृत्ति दी है,
की हम अच्छे कर्म करें।
और बुरा कर्म ना करें।
अगर हम उनकी पूजा भी नहीं करते है,
तब भी कोई सजा नहीं मिलेगी।
लेकिन अगर हम बुरी प्रवृत्ति के साथ,
बुरा कर्म करेंगे तो फिर सजा भी,
उसी हिसाब से मिलेगी।
मधुर वाणी और सही कर्म हमें,
अच्छे इंसान बनाते हैं।
अब्दुल कलम जो हमारे राष्ट्रपति थे,
आज हमारे बिच नहीं हैं,
फिर भी हम उन्हें याद करते हैं,
और उनकी कही बातों का पालन करते हैं,
क्यों की वे अच्छे इंसान थे।
अच्छे इंसानों की कदर उनके चले जाने के बाद भी,
होती है, जबकि बुरे प्रवृत्ति वाले इंसान के पीठ पीछे,
भी लोग बोलते हैं की कितना कमीना इंसान है।
इसलिए हमेशा अच्छा बनना चाहिए,
और सही प्रवृत्ति के साथ
सही कर्म करते रहना चाहिए।