मौसम आज उदास है
मौसम आज उदास है
चार और पसरी शांति
कहीं दिखे न कोई एक छोर से दूसरे छोर
छाया करोना का कहर
देख आज मन ही नहीं, मौसम भी उदास है।
प्रकृति से किया खिलवाड़
पक्षियों का घर है छीना
सुंदर प्रकृति बनी काकेर का
देख मानव का कृत्य,मौसम आज उदास है।
नदियों हुई अशुद्ध,
जीव जंतु की हत्या
चारों ओर हाहाकार
फिर भी तू अपने में मगरूर है
दीया अनंत ज्ञान भंडार है ।
जिसका कर ले तू मोल
रुक विचार कर ,क्या तेरा रूप..
क्यों आज मौसम उदास है।
लगा ले पेड़ पौधे
जीवो की हत्या रोक
चहके पक्षी ,कर नई शुरुआत
ईश्वर को होगा तुझ पर नाज
फिर कभी ना होगा रे
मौसम उदास कभी ना होगा मौसम उदास।