मैं
मैं


मैं कल तक जो मैं था आज भी वही मैं हूं
पर मैं कल जो मैं था आज वो मैं नहीं हूं
फर्क कुछ भी नहीं है दोनों मैं में
पर फर्क बहूत है दोनों मैं में
एक मैं ठहाके की हंसी हंसता था
और एक मैं मधुर मुस्कान बिखेरता है
फूरसत के पलों में दोस्त यार पुछते है
दोनों मैं का अंतर
दोनों मैं के बीच के फासले का कारण
पर उन्हें कैसे समझाऊं
मैं अपने अंतर्मन की पीड़ा
ठहाके से मधुर मुस्कान का सफर
एक उन्मुक्त हंसी था और एक बोझिल हंसी है।