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निशान्त मिश्र

Abstract

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निशान्त मिश्र

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" मैं भारत हूं"

" मैं भारत हूं"

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प्यार से मिलोगे, तो गुलाम बन जाऊंगा,

रौब तुम दिखाओगे, पहाड़ बन जाऊंगा,

प्यार के दो मीठे बोल बोलकर मुझे खरीद लो,

नोट तुम दिखाओगे, तो आग बन जाऊंगा


नम्रता दिखाओगे, तो मोम बन जाऊँगा,

आँख तुम दिखाओगे, तो बाज बन जाऊंगा,

प्यार से गले मिलोगे, शीश पे बिठाऊँगा,

गर छुरा निकालोगे, तो तीर बन जाऊंगा


मित्रता के पात्र में, मैं खीर बन जाऊंगा,

शत्रुता करोगे, शूरवीर बन निभाऊंगा,

हंसी – खेल में, बॉल – बैट बन जाऊंगा,

मुझसे खेलोगे, तो एक फैट मैं लगाऊंगा


हाथ तुम बढ़ाओगे, तो हाथ मैं कटाऊंगा,

ऊँगली तुम दिखाओगे, मैं काट के बताऊंगा,

हाथ में उठाओगे, तो फूल बन जाऊँगा,

पैर से दबाओगे, तो शूल बन जाऊंगा


खाट तुम बनोगे, मैं पेड़ बन जाऊंगा,

मुझपे ही चलोगे, टेढ़ी मेढ़ बन जाऊँगा,

हाथ से जो खींचोगे, पतंग बन जाऊंगा,

पैर खींचोगे, तो मैं भुजंग बन जाऊंगा


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