मैं तुम्हें बतलाने आया हूँ
मैं तुम्हें बतलाने आया हूँ
मैं तुम्हें बतलाने आया हूँ और चेताने आया हूँ
माँ को संसार, पिता को जीवन का सार कहने आया हूँ।
माँ को भगवान, पिता के धैर्य को प्रणाम कहने आया हूँ।
माँ को त्याग, पिता को पराग कहने आया हूँ।
माँ को गोद, पिता को प्रमोद कहने आया हूँ।
माँ को गुल, पिता को गुलदान कहने आया हूँ।
माँ को सृष्टि और पिता को प्रखर दृष्टि कहने आया हूँ।
माँ को सुधारस गागर, पिता को सुरभित सागर कहने आया हूँ।
मैं तुम्हें बतलाने आया हूँ और चेताने आया हूँ ।
माँ को कल, पिता को हलचल
माँ की बूढ़ी आँखों में पानी, पिता की जर्जर जवानी कहने आया हूँ।
माँ की आँखों में सपने, पिता की नज़रों में कोई नहीं अपने
माँ को मोह-ममता की फुलवारी, पिता अभी भी है शजरों का रखवारी
माँ को ममता की अंधी, पिता को ममता के कारावास का बंदी कहने आया हूँ।
माँ की आंखों का रोष और पिता को अपनी परवरिश पर अफसोस कहने आया हूँ ।
माँ को आँचल, पिता को धरातल कहने आया हूँ।
माँ-बाप की आँखों के गहरे-गहरे राज़ बतलाने आया हूँ।
उनका आज, तुम्हारा कल चेताने आया हूँ ।
मैं तुम्हें बतलाने आया हूँ और चेताने आया हूँ।