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Pratik Kamble

Drama

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Pratik Kamble

Drama

मैं सोया रहता हूँ

मैं सोया रहता हूँ

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जब लोकतंत्र का खून हो रहा होता है

मैं सोया रहता हूँ

जब मेरे हक मुझसे छीने जाते है

मैं सोया रहता हूँ


जब मेरी अभिव्यक्ति का गला दबाया जाता है

मैं सोया रहता हूँ

जब रावणराज का बोलबाला होता है

मैं सोया रहता हूँ


जब नारीको सरेआम लूटा जाता है

मैं सोया रहता हूँ

जब सड़क पे बच्चा भूखे पेट रोता है

मैं सोया रहता हूँ


जब राम रहीम के झगड़े में कोई मरता है

मैं सोया रहता हूँ

जब दलित सवर्णों के दंगों में शहर जलता है

मैं सोया रहता हूँ


जब ज़ुल्म के प्रति उठती आवाज़ को बंद किया जाता है

मैं सोया रहता हूँ

मैं पाँच साल में एक बार जाग जाता हूँ

तब थोड़ी शराब और थोड़े नक़द में खुद को बेचता हूँ


मैं अक्सर कहता हूँ

कुछ नही होगा मेरे देश का

यार कहाँँ मैं गलत कहता हूँ ?

इस गहरी नींद में

मैं अपने ज़मीर को भी सुलाता हूँ...!



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