मैं समझ सकता हूँ! तुझे
मैं समझ सकता हूँ! तुझे
तुम्हारी हर शिकन को समझ सकता हूँ!
तुम्हारी हर तकलीफ को समझ सकता हूँ!
न सिर्फ समझ सकता हूँ अपितु हमेशा समझता भी हूँ!
अपना ही मानता हूं चूंकि तेरे दिल की हर धड़कन मेरा ही तो है।
तुम्हारी हर दर्द ,हर पीड़ा और हर परिस्थिति से वाकिफ़ हूं, मैं!
भले ही थोड़ी देर हो जाए समझने में,
पर ऐसा नहीं है कि मैं तुम्हें समझने का सफल प्रयास नहीं करता हूं!
जैसे ही मुझे इसका एहसास होता है मैं भाव-विह्वल हो जाता हूँ !
भले ही कभी देर हो जाए हमको ,
समझ पाने में तुमको!
पर हे! प्रिये तुमसे भी मेरी एक शिकायत है !
तुम मुझे भी , मेरे दिल की बेचैनी को भी समझना !
तुमसे यही इनायत है ।

