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Vaidehi Singh

Inspirational

4  

Vaidehi Singh

Inspirational

मैं रोटी हूँ

मैं रोटी हूँ

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ऐ इंसान! मेरी कद्र कर, तुझे मेरी ज़रूरत है, 

सबकी भूख मिटाऊँ, ये मेरी कुदरत है।

कमी में ज़रूरी तो, ज़्यादा मिलने पर कद्र खोती हूँ, 

मैं रोटी हूँ, ये जान ले इंसान! मैं सबके नसीब में नहीं होती हूँ। 


भूखे पेट सोए गरीबों की आँखों का सपना होती हूँ, 

पापी पेट के पापों को भी मैं ही धोती हूँ।

मेहनती की थाली में देर से ही सही, पर आकर टिक जाती हूँ, 

मैं रोटी हूँ, ये मत समझ इंसान! कि ईमान के नाम पर बिक जाती हूँ। 


ज़रूरत से ज़्यादा मुझे थाली में क्यों सजाते हो, 

बच जाने पर कचरे में फेंकते हो, भूखे को क्यों नहीं दे आते हो? 

मैं थाली छोड़कर जाने में ज़्यादा देर लगाती नहीं हूँ, 

मैं रोटी हूँ, ओ इंसान! जहाँ मेरी कद्र मैं जाती वहीं हूँ। 


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