मैं लिखना चाहता हूँ!
मैं लिखना चाहता हूँ!
मैं लिखना चाहता हूं आज स्वयं के बारे में !
आज मैं स्वयं के अपराध लिखना चाहता हूं,
स्वयं के झूठे और खोखले वादों को लिखना चाहता हूं,
स्वयं की गलतियों को लिखना चाहता हूं !
आज मैं लिखना चाहता हूं;
खुद को सही साबित करने के झूठे तरीकों को !
आज मैं लिखना चाहता हूं अपने भीतर के अहम को,
और मन में लोगों के प्रति उपजी वहम को !
आज मैं लिखना चाहता हूं अपनी नाकामियों को,
और उन नाकामियों के पीछे छिपे कारणों को !
आज मैं लिखना चाहता हूं स्वयं के दोषों को,
स्वयं की गलतियों को,
पर मैं असमंजस में हूं !
क्या मैं ऐसा कर पाऊंगा ?
क्योंकि स्वयं के प्रति ईमानदार रहना इतना आसान भी नहीं !
फिर भी मैं लिखना चाहता हूं।
