मैं क्या करता---?
मैं क्या करता---?
मैं क्या करता---?
मैं तख्तो ताज बेच आया हूँ
हुनर के सारे साज बेच आया हूँ
मैं कहाँ जाता और क्या करता
बेबस- लाचार, भरी जवानियाँ बेच आया हूँ।
मैं हाथों की शक्ति बेच आया हूँ
नशा देश प्रेम और भक्ति बेच आया हूँ
मैं कहाँ जाता और क्या करता
अपने जमीर की आसक्ति बेच आया हूँ ।
मैं दो टके में ईमान बेच आया हूँ
नि:सहाय, दीन-हीन को कौड़ियों के दाम बेच आया हूँ
मैं कहाँ जाता और क्या करता
मासूमों के गगनचुंबी अरमान बेच आया हूँ।
मैं पंख परवाज़ बेच आया हूँ
विद्रोह में उठती, बोलती आवाज़ बेच आया हूँ
मैं कहाँ जाता और क्या करता
मैं तो गीता, बाइबल और कुरान बेच आया हूँ।
मैं तिजारती अपनी महारत बेच आया हूँ
दूसरों के घर की इमारत बेच आया हूँ
मैं कहाँ जाता और क्या करता
अपने बेदाग दामन के आराधकों की इबादत बेच आया हूँ।