Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

sargam Bhatt

Abstract

4  

sargam Bhatt

Abstract

मैं खुश हूं

मैं खुश हूं

1 min
234


मैं खुश हूं

कल को भूल कर,

अपने आज में खुश हूं।

ख्वाबों को भूलकर,

हकीकत में खुश हूं।

मैं.............


जो है,

उसके साथ में खुश हूं।

जो नहीं है,

उसके इंतजार में खुश हूं।

जो खो चुकी,

उसे भूल कर,

जो पाई मैं,

उस में खुश हूं।

मैं...............


नहीं चाह है पकवानों की,

दो वक्त की,

रोटी में खुश हूं।

नहीं चाह है, हीरे मोती की,

ना ही सोने चांदी की,

मैं तो,

अपनों के साथ में,

खुश हूं।

मैं............


अपनी!

आजादी में खुश हूं।

अपने,

विचारों से खुश हूं।

चाह है कुछ करने की,

मैं अपनी,

लेखनी से खुश हूं।

मैं..…….........


कल को भूलकर,

अपने आज में खुश हूं।

मैं...……………



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract