मैं ख़ामोश रहता हूँ !
मैं ख़ामोश रहता हूँ !
हमारी तकलीफें उसे समझ आ जाती हैं....
मैं ख़ामोश रहता हू,धड़कने कुछ बोल आती हैं....
ऐसा सबके साथ होता नहीं,कुछ तो रिश्ता होगा उससे....
अजनबी इस जमाने में,
बड़ा वक़्त लगा एक उसे पाने में....
उसकी चाहत मेरे दिल को टटोल जाती हैं....
वो पास होके भी पास नहीं होती हैं,फिर भी
हमारी तकलीफें उसे समझ आ जाती हैं....!
उसकी आँखों कि चमक में,
एक रिश्ता सा नजर आता हैं.....
उसकी परेशानी,उदासी चेहरे से ही दिख
जाता हैं.....
मैं ख़ामोश रहता हूँ,औऱ धीरे से वो कानो
में कुछ बोल जाती हैं.....
मुझमें एक अजीब सी बेचैनी घोल जाती हैं.....
वो पास होके भी पास नहीं होती हैं,फिर भी
हमारी तकलीफें उसे समझ आ जाती हैं....!