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SUNIL JI GARG

Romance

4  

SUNIL JI GARG

Romance

मैं हूँ प्रश्न

मैं हूँ प्रश्न

1 min
380


प्यार में खाकर ठोकर नहीं सुधरे हम 

तुम क्या सुधार लोगे हमें देके गम


बड़े ही ढीट हैं हम, मगर हैं बड़े प्यारे 

हमारे कातिल भी हम पर जाते वारे


परेशान हमें हर कोई कर सकता है 

दिल तोड़े हमें कुछ नहीं लगता है 


भावनायें हैं हमारी बड़ी ही लोचदार 

हमारे लिए तनिक भी न कोई उदार 


फुटबॉल की तरह हमसे जाता खेला

हमारे कारण आपके यहाँ लगता मेला 


कोई दुःख नहीं होता हमें किसी बात का 

हमें तो आदत है आपकी बातों की लात का 


और भी सहन करेंगे, आप करिए तो सितम 

बिलकुल न रोएंगे, आँखें भी न होंगी नम 


बस इतनी सी है इल्तिजा, मान लीजियेगा 

हमारी लेखनी को आगे भी चलने दीजियेगा 


आपको बदनाम न करेंगे, करते हैं वादा 

अपनों से बातें कर पाएं, बस यही है इरादा


आप जो करते हैं, वो जुल्म नहीं, है परवाह

हमारी न कोई शिकायत, न कोई है गवाह 


रोज़ दुनिया वालों हमारी नमस्कार सुन लेना

सवाल हम पूछेंगे, थोड़ा सा उन्हें भी गुन लेना 


बिना उत्तरों के, सवालों की बनानी है पुस्तक 

भविष्य में उत्तर देगा, कोई तो सुलझा शासक।



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