STORYMIRROR

Ashish Dalmia

Comedy

3  

Ashish Dalmia

Comedy

मैं हूँ जंतर-मंतर

मैं हूँ जंतर-मंतर

2 mins
28.7K


मैं हूँ जंतर-मंतर बाबू, मैं हूँ जंतर-मंतर ll


महाराजा जय सिंह ने करवाया था दिल्ली में मेरा निर्माण

जयपुर, उज्जैन, मथुरा और बनारस में भी है मेरा खानदान

सूरज की किरणों से अचूक समय का मैंने सबको दिया है ज्ञान

भारत की इस अदभुत क्षमता का लोहा भी जग ने लिया है मान

बिन बैटरी, बिन चाबी के भी चलता रहता हूँ मैं निरंतर,

मैं हूँ जंतर-मंतर बाबू, मैं हूँ जंतर-मंतर ll


बदले समय में मिला है मुझको नया एक मुकाम ,

आंदोलन और धरनों का मैं बन गया हूँ पवित्र धाम,

जब भी किसी को करवाना होता है अपना कोई काम,

मेरी गोद में बैठकर वो नारे लगाता है सुबह और शाम,

मेरा लक्ष्य है कि अब लाऊँ मैं शोषित लोगों के जीवन में अंतर,

मैं हूँ जंतर-मंतर बाबू, मैं हूँ जंतर-मंतर ll


कुछ दिन पहले मेरे आँगन में गूंजे नारे भ्रष्टाचार विरोधी,

जिसके कारण दिल्ली की सरकार ने अपनी कुर्सी ही खो दी,

पूरे आंदोलन से लाभान्वित हुए सिर्फ केजरीवाल और मोदी,

"अच्छे दिनों" के इंतज़ार में आज "आम आदमी" की आँखें भी रो दी

मेरी शरण में आकर प्यादा भी बन गया सिकंदर

मैं हूँ जंतर-मंतर बाबू, मैं हूँ जंतर-मंतर ll


देश के लिए जिन लोगों ने अपने जीवन की बाजी लगाई

ऐसे वीर सैनिकों पर आज भूख हड़ताल की नौबत है आई

एक पद और एक पेंशन की उन्होंने सरकार से गुहार है लगाई

५६ इंच छाती वाली सरकार को न दिखता और ना देता कुछ भी सुनाई

तोड़ देता हूँ मैं गुरुर उनका जो समझे खुद को धुरंधर

मैं हूँ जंतर-मंतर बाबू, मैं हूँ जंतर-मंतर ll


समय दिखाते दिखाते मैं तो अब समय बदलने लगा हूँ

अपनी गोद में बैठे लोगों संग कितनी रातों को जगा हूँ 

लोकतंत्र के सारे स्तम्भों का मैं भी तो दूर का सगा हूँ          

लेकिन गलत मांगों में अपने इस्तेमाल से मैं कई बार ठगा हूँ

किसी को मेरी जरूरत न पड़े, है ऐसी अभिलाषा मेरे अंदर

मैं हूँ जंतर-मंतर बाबू, मैं हूँ जंतर-मंतर ll


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Comedy