मैं हिन्दी हूँ
मैं हिन्दी हूँ
सुनो मैं मातृ भाषा हूँ
मैं हिन्दी हूँ, मैं हिन्दी हूँ
भारत माँ के मस्तक
पर सजी बिंदी हूँ
विभिन्न प्रान्तों में कई
रूपों में बोली जाती हूँ
प्रेम और सौहार्द की
भावना में तोली जाती हूँ
सन्धि, समास, विशेषण,
अलंकारों से सजाई जाती हूँ
वर्णों, छंदों, विचारों से
लिखी, पढ़ी, सुनाई जाती हूँ
अपनाओ मुझे सहज, सरल
स्वभाव मेरा पाओगे
अंग्रेजी फिरंगी भाषा हैं
उलझ कर रह जाओगे
डूब कर देखो साहित्य का
गहरा समंदर हूँ मैं
तुलसी, सुर, कबीर, मीरा की
भक्ति का स्वर हूँ
दादी की कहानी, माँ की
लोरी में दिखाई देती हूँ
पिता का प्यार, नन्हों की
किलकारी में सुनाई देती हूँ
अनेकता में एकता की मिसाल हूँ
देश का मान, सम्मान, पहचान हूँ
सुनो मैं मातृभाषा हूँ
मैं हिन्दी हूँ, मैं हिन्दी हूँ