STORYMIRROR

कल्पना रामानी

Romance

5.0  

कल्पना रामानी

Romance

मैं ग़ज़ल कहती रहूँगी (ग़ज़ल)

मैं ग़ज़ल कहती रहूँगी (ग़ज़ल)

1 min
346



गीत मैं रचती रहूँगी, मीत, यदि तुम पास हो तो

मैं गजल कहती रहूँगी, गर सुरों में साथ दो तो


मैं नदी होकर भी प्यासी, आदि से हूँ आज दिन तक

रुख तुम्हारी ओर कर लूँ, तुम जलधि बनकर बहो तो


सच कहे जो आइना वो, आज तक देखा न मैंने

मैं सजन सजती रहूँगी, तुम अगर दर्पण बनो तो


इस जनम में तुमको पाया, धन्य है यह नारी-जीवन

फिर जनम लेती रहूँगी, हर जनम में तुम मिलो तो


नष्ट हो तन, तो ये मन, भटकेगा भव की वाटिका में 

बन कली खिलती रहूँगी, तुम भ्रमर बन आ सको तो


प्यार, वादे और कसमें, इंतिहा अब हो चुकी है

साथ जीवन भर रहूँगी, इक घरौंदा तुम बुनो तो


खो भी जाऊँ “कल्पना”, तो ढूँढना इन वादियों में

प्रतिध्वनित होती रहूँगी, तुम अगर आवाज़ दो तो 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance