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मिली साहा

Abstract

4.9  

मिली साहा

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मैं एक नारी हूं

मैं एक नारी हूं

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हां मैं एक नारी हूं

सुंदर जीवन का आधार मैं

इस दुनिया की पहचान हूं

आस्था और विश्वास मुझसे

मैं भूत भविष्य और वर्तमान हूं


सहनशीलता और त्याग भी मैं

मैं ही उत्पत्ति और मैं ही निर्माण हूं  

दया करुणा और प्यार की मूरत कहलाती 

पुराने रीति-रिवाजों से जीवन भर लड़ती हूं

अपने सारे गम और दर्द सीने में छुपाकर


रिश्तों में ही अपना पूरा जीवन बिताती हूं

हां मैं एक नारी हूं

हर परिवेश में खुद को ढाल लेती हूं

बनी हुई मैं कुछ अलग ही मिट्टी से

हर परिस्थिति में खुद को संभाल लेती हूं


सशक्त हूं मैं आसमान को छूना जानती

हूं

हां मैं एक नारी हूं

मुझे जरूरत नहीं किसी पतवार की

मैं अपनी कश्ती खुद चलाना जानती हूं

मैं ताकत हूं मैं शक्ति हूं अपने परिवार की


अपने संस्कारों से रिश्तो को बांधे रखती हूं

हिम्मत और हौसले की मिसाल हूं

मैं खुद की ताकत और खुद की आवाज हूं

हां मैं एक नारी हूं


हर चुनौती से निपटना जानती हूं

साहस और आत्मविश्वास के बल पर

घर से लेकर बाहर तक सब संभाल लेती हूं

मां बहन पत्नी और बेटी के रूप में

अपना हर फर्ज पूरे मन से निभाती हूं

हां मैं एक नारी हूं 


रिश्तों में जीती और मरती हूं

तभी तो मैं नारी कहलाती हूं।


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