मैं भारत हूँ
मैं भारत हूँ
मैं बस कोई मिट्टी नहीं,
मैं जौहरियों की चाहत हूँ
कभी जो मैं रामायण था,
हाँ मैं वही महाभारत हूँ
दुश्मन हूं मैं अंधकार का
और संस्कृति का धारक हूँ
बदल न पाया जिसको कोई
मैं इतिहास का परिचायक हूँ
हिला सका न जिसको कोई,
मैं ही वो हिमालय धारक हूँ
मैं ही तो हूँ जनक गणित का,
और मैं योग प्रचारक हूँ
कोई किताब नहीं लेखक का,
मैं भविष्य का संपादक हूँ
हर युग के आदि अंत का
मैं इकलौता प्रमाणक हूं
हर किसी को अपनाने वाला,
मैं मानवता का वाहक हूँ
हर युग और हर काल का
मैं ही तो संचालक हूँ
पूर्णविराम नहीं है मेरा ,
मैं भारत हूँ मैं भारत हूँ