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मैं ऐसा वो कल हूँ

मैं ऐसा वो कल हूँ

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उड़ता हुआ बादल हूँ, मैं बहता हुआ जल हूँ

जो कभी न आयेगा, मैं ऐसा वो कल हूँ


जीवन की रेखाओं में तुम

मेरे होठों के तब्बसुम तुम

तेरे चेहरे की शोभा जो बढ़ाये

ऐसा मैं तेरे गाल का काला तिल हूँ

उड़ता हुआ बादल हूँ, मैं बहता हुआ जल हूँ

जो कभी ....


कई नवल परिस्थितियों से गुजरा

तेरे कई परीक्षणों से गुजरा

अब दक्ष हो गया प्यार में तेरे

क्या मैं तेरा साहिल हूँ

उड़ता हुआ बादल हूँ, मैं बहता हुआ जल हूँ

जो कभी...


फतह हुई है प्यार की मंज़िल

जीता है मैंने दिल से दिल

नफरत के प्यालों को भी पीकर

प्यार का चमकता एक दिल हूँ

उड़ता हुआ बादल हूँ, मैं बहता हुआ जल हूँ

जो कभी न आयेगा, मैं ऐसा वो कल हूँ


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