मातृभाषा हिन्दी
मातृभाषा हिन्दी


तू ही तो इज़हार की भाषा
तू ही तो है प्यार की भाषा
राजकाज की भाषा तुम हो
भारतभूमि की आशा तुम हो
तुम हो इक सम्पर्क सूत्र
गौरव का हो मूल मंत्र
हम तुमसे पहचाने जाते
विश्वभर में जाने जाते
तुमको पढ़ना देता सम्बल
कर पाते स्वयं को अभिव्यक्त
जो रस तुम्हें पाने में है
उससे ज्यादा गुनगुनाने में है
तेरे बिना यह मन भर आता
कुछ भी न व्यक्त कर पाता
जब जब तुम जिव्हा पर आती
ये भी रसीली हो जाती
तुम्हारा मान हमारा मान है
तुझसे ही हमारा नाम है
हमें तुझे अपनाना होगा
खोया गौरव लौटाना होगा
तभी हम जाने जायेंगे
वरना न पहचाने जाएंगे
गर ना तुझे स्वीकार करेंगे
तो अपना ही तिरस्कार करेंगे
तू ही तो ज्ञान बन बोलती
मन के बंद द्वार खोलती
अंग्रेजी मजबूरी है
बिन तेरे मैं अधूरी हूँ
तू तो है अभिमान की भाषा
तू ही घर परिवार की भाषा
तुम ही हो वन्दन की भाषा
तुम ही अभिनन्दन की भाषा
आओ हम गुणगान करें
मातृभाषा का सम्मान करें
नव पीढ़ी को सिखाये हम
हिन्दी को भूल न जाऐं हम
हिन्दी को अपनाए आओ
नव उत्कर्ष जगाए आओ