।।माता के नव रूप।।
।।माता के नव रूप।।
नवरुपों में आज पधारी माता रानी।
सब पर करती कृपा हमारी माता रानी।
भरती सबकी झोली खाली माता रानी।
देती सबको प्यार हमारी माता रानी।
नवरात्रि आते ही भक्त खुशी से झूमें।
जल चढ़ा कर परिक्रमा चारो ओर घूमें।
कभी चढ़ाएं माॅ॑ के चरणों में हलवा पूरी,
भोग लगा लड्डू का करें कामना पूरी।
प्रथम शैलपुत्री बन कर आती माता।
द्वितीय ब्रह्मचारिणी कहलाती माता।
तृतीय दिवस चंद्रघंटा बन कर आती।
कूष्माण्डा माता चतुर्थ दिवस कहलाती।
पंचम दिवस में आती है स्कंदमाता।
कात्यायनी कहलाती छटे दिवस माता।
सप्तम दिवस बन कर आती कालरात्रि।
जय महागौरी अष्टम,नवम सिद्धिदात्री।